दीप-पर्व पर आओ मिल-जुल
लक्ष्मी स्तुति-गान करें
लें संकल्प हृदय से, आगत
लक्ष्मी का सम्मान करें.
द्वार रंगोली नहीं सजी तो
कैसे लक्ष्मी भीतर आये
पूजा की थाली ले कर में
आरती-वंदन कौन सुनाये.
नन्हीं पायल की छमछम बिन
आंगन भी किस मन हरषाये
बिना फुलझरी - दीपशिखा के
दीवाली किस मन को भाये.
क्या अपने ही हाथों अपनी
खुशियों को बेजान करें
लें संकल्प हृदय से, आगत
लक्ष्मी का सम्मान करें.
धन तेरस पर किसकी खातिर
स्वर्ण-चूड़ियाँ, झुमका- बाला
किसकी खातिर स्वर्ण-हार और
किसकी खातिर गजरा, माला.
लक्ष्मी-पूजन में गृह लक्ष्मी
यदि वाम नहीं आसन्न हो
बिटिया की चूड़ी ना खनके
महालक्ष्मी कैसे प्रसन्न हो.
बिन बिटिया के दीप-पर्व पर
क्या घर को वीरान करें
लें संकल्प हृदय से, आगत
लक्ष्मी का सम्मान करें.
रचनाकार - अरुण कुमार निगम
रचनाकार - अरुण कुमार निगम
दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं सहित....
प्रस्तुतकर्ता -
प्रस्तुतकर्ता -
श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़.