Tuesday, January 31, 2012

प्रियतम मेरे परदेस बसे.........

बसंत को सखा जान मनुहार करती विरहिणी के भावों पर रचा यह गीत पुन: पोस्ट कर रहा हूँ

मैं किस मन से श्रृंगार करूँ....?                                           


ओ बसंत ! तुम बतलाओ,   कैसे आदर-सत्कार करूँ

प्रियतम मेरे परदेस बसे, मैं किस मन से श्रृंगार करूँ.....?


फिर पवन - बसंती झूमेगी,

हर कलि, भ्रमर को चूमेगी

चुन-चुन   मीठे -मीठे गाने

कोयलिया    मारेगी   ताने




मधुगंध  बसाये   पोर-पोर

चंदा संग     खेलेगा चकोर

तुम उनके देस चले जाना

धर बाँह, यहाँ पर ले आना


मेरे बचपन के साथी !! तुमसे ,इतना ही मनुहार करूँ

प्रियतम मेरे परदेस बसे, मैं किस मन से श्रृंगार करूँ.....?


जिस क्षण प्रियतम  मिल जायेंगे

मन के पलाश खिल जायेंगे

सरसों झूमेगी      अंग-अंग

चहुँ ओर बजेगी जल-तरंग




लिपि नयन-पटल पर उभरेगी

अंतस की भाषा    सँवरेगी

हम  आम्र-मंजरी   जायेंगे

सेमल  से  सेज   सजायेंगे


तुम आना मत अमराई में,मैं जब प्रियतम से प्यार करूँ

प्रियतम मेरे परदेस बसे, मैं किस मन से श्रृंगार करूँ.....?



 - अरुण कुमार निगम                     










Thursday, January 26, 2012

गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें....


गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें.........

आन, बान औ शान से, अमर रहे गणतंत्र
रहें एक  होकर सभी  , यही सफलता मंत्र.

सबसे ऊपर देश है  , तज कर सारे स्वार्थ
प्राण  लुटायें  देश पर  और  करें परमार्थ.

सबके अधरों पर रहे ,जनगणमन का गान
कहें गर्व से  हम सदा  , मेरा देश महान.


निगम परिवार


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (मध्य प्रदेश)


Sunday, January 1, 2012

नव वर्ष की शुभकामनायें


नव वर्ष की शुभकामनायें

             नवल वर्ष का अभिनंदन
             वन उपवन नूतन स्पंदन
             लता-वृक्ष का आलिंगन
             नीलाम्बर-वसुधा का चुम्बन

            
             लिपटी-सिमटी कलि अवगुंठित
             मादक मधुकर छेड़े गुंजन
             निरख ऋतु श्रृंगारमयी
             मेघराज भूले गर्जन.

             षड्यंत्र विफल हो गये सभी
             निर्झरिणी-सागर हुआ मिलन
             लय संग अंगनिया आई , लो
             यह नव-प्रभात की प्रथम किरण.

    ‘’निगम परिवार’’