Thursday, May 3, 2012


 सियानी गोठ 

जनकवि कोदूराम “दलित”

14. सज्जन

संगत  सज्जन  के  करो , सज्जन सूपा आय
दाना – दाना  ला  रखय  ,  भूँसा   देय   उड़ाय
भूँसा   देय  उड़ाय  ,  असल   दाना  ला  बाँटय
फुन-फुन के कनकी , कोंढ़ा,गोंटी सब छाँटय
छोड़ो  तुम  कुसंग ,  बन  जाहू  अच्छा  मनखे
सज्जन  हितुवा  आय, करो संगत सज्जन के.

[ सज्जन : संगत सज्जन की करें, सज्जन सूपा की तरह होते हैं जो दानों को रख कर भूसे को उड़ा देता है. यह फुन-फुन कर (सूपे को विशेष प्रकार से फटकारने की प्रक्रिया) कनकी (चाँवल के दानों के टूटे हुये छोटे टुकड़े) कोंढ़ा (धान के छिलकों का बुरादा) और पत्थर के महीन टुकड़ों को छाँट कर उत्तम दाने देता है. बुरी संगत छोड़ो, अच्छे व्यक्ति बनो. सज्जन हितैषी होते हैं, सज्जन की संगत करें]

4 comments:

  1. शुक्रवार के मंच पर, लाया प्रस्तुति खींच |

    चर्चा करने के लिए, आजा आँखे मीच ||

    स्वागत है-


    charchamanch.blogspot.com

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  2. Beautiful and just explanation of the poetic essence .THANKS FOR THIS LESS KNOWN KABIR' WORK.

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  3. सज्जन का साथ सच में अमृत सम है

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