Wednesday, July 8, 2015

तीर्थराज प्रयाग - सपना निगम





यहाँ माझी है नैय्या है पतवार है
और गंगा यमुना की बहती धार है

प्रयागराज तीरथ त्रिवेणी का संगम
बहती यहाँ सत्संग की बयार है
 
इन नदियों के पास मेरे देश का इतिहास
उपजाऊ जमीन रही भरमार है
 
दोआब कर वसूले मुगलों ने यहाँ
यही वो गंगा यमुना का कछार है
 
मंदिरों की घंटियों में गूंजे है राम -राम
साधू संतन की श्रद्धा अपार है
 
जाने कितने ही कर्मकांड होते यहाँ
प्रदूषण से गंगा शर्मसार है
 
इस पार मैं खड़ी हूँ उस पार है जल धारा
ये तीनों लोकों का शीर्ष द्वार है

- सपना निगम

Saturday, July 4, 2015

नालंदा – सपना निगम




(चित्र गूगल से साभार)




ज्ञानपीठ नालंदा मैं था
गुरुजनों का प्रसाद
किसी जमाने में बच्चों
मैं रहा बहुत आबाद

राजा कुमार गुप्त ने
मुझे स्थापित करवाया
पाली भाषा में विद्यार्थी
करते पठन संवाद

इस देश के बाहर से भी
ज्ञानार्जन करने आते
अब ज्यादा कहूँ तो
तुम समझो न इसे अपवाद

राजाश्रय मिला हर्षवर्द्धन का
बहुत प्रसिद्धि पाई
ह्वेन्तसांग ने यहाँ से जाकर
किया मुझे बहुत याद

तुर्कों ने था किया आक्रमण
तहस-नहस कर डाला
धूं-धूं चिता जलाई मेरी
करता किससे फ़रियाद

शिक्षा सबके लिये जरूरी
सुनो मेरे प्रहलाद
शिक्षित बनो संगठित रहो
तुम्हें मेरा आशीर्वाद

-     श्रीमती सपना निगम